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लेखनी कहानी -05-Jan-2023 (29) छछूंदर के सर पर चमेली का तेल ( मुहावरों की दुनिया )



शीर्षक = छछूंदर के सर पर चमेली का तेल



मानव की जो एक हफ्ते की छुट्टियां बढ़ गयी थी उनमे से दो दिन ख़त्म हो चुके थे, अब बस कुछ चंद दिन और बचे थे, उसके पास अपनी छुट्टियां गांव में बिताने को


जितना दुख उसे शहर जाने का था, वही दूसरी तरफ उसे इस बात की ख़ुशी भी थी कि उसके दादा, उसकी दादी और मम्मी पापा ने मिलकर अध्यापिका द्वारा दिए गए मुहावरों पर आधे से ज्यादा कहानिया लिखवा दी है, अब बस गिनती की चंद कहानियाँ और बची है, उसके बाद वो स्कूल में उसे जमा करा देगा, भले ही वो मॉनिटर बने या न बने लेकिन वो उसका हिस्सा बना यही उसके लिए बड़ी बात है, जो कुछ उसने इस प्रतियोगिता के माध्यम से सीखा वो अनमोल है, जो पल उसने अपने दादा दादी और इस गांव में गुज़ारे वो उसे हमेशा याद रहेंगे


वही दूसरी तरफ आशीष भी खुश था कि वो इसी बहाने गांव तो आया, वो भले ही गांव को भूल गया था, लेकिन ये गांव उसे नही भूला था, यहां गुज़ारा बचपन उसके सामने चल चित्र की भांति चल रहा था


राधिका का भी मन यहाँ से जाने का नही कर रहा था, लेकिन मजबूरी थी जिसके चलते उसे जाना तो था ही, लेकिन उसने भी अपनी जिंदगी के बहुत अच्छे दिन इस गांव में बिताये जो की वो नही भूल पायेगी

अब जैसे जैसे दिन कम होते जा रहे थे, वही दूसरी तरफ दीन दयाल जी और सुष्मा जी की भी चिंता बढ़ती जा रही थी, उनका घर जो पिछले कुछ दिनों से चहल पहल का केंद्र बना हुआ था, अब वहाँ कुछ दिन बाद दोबारा से सन्नाटा हो जाएगा, सुष्मा जी को इस बात का और भी दुख था कि बाप बेटे के बीच की नाराज़गी भी ख़त्म न हुयी, और जाने का समय आ गया


आज सब लोग उदास थे, तब ही मानव वहाँ आन पंहुचा अपना अगला मुहावरा लेकर और बोला " बस कुछ मुहावरें और, फिर मैं आज़ाद हो जाऊंगा "


ये सुन सब लोग मुस्कुराने लगे, तब ही दीन दयाल जी बोले " अच्छा तो फिर कौन सा है अगला मुहावरा, तुम्हारे इस मुहावरों की दुनिया में तो हम लोग भी कही खो से गए "

ये सुन सब लोग मुस्कुरा दिए तब ही मानव बोल पड़ा, दादा जी ये केसा मुहावरा है " छछूंदर के सर पर चमेली का तेल "

"छी,, छछूंदर कितनी गन्दी होती है, इतनी बुरी बास आती है उसके पास से, भला इस मुहावरें का क्या अर्थ हो सकता है " मानव ने उबकाई लेते हुए कहा


उसे इस तरह देख सब लोग जोरदार टहका लगा कर हसे, दीना दयाल जी ने मानव को खींच कर अपनी गोदी में बैठाया और उसके सर पर हाथ फेराते हुए बोले " सही कहा छछूंदर वाकई बहुत गन्दा जीव है, लेकिन शायद इसी लिए बड़े बुजुर्गो ने उसके ऊपर इस तरह की कहावत बनायीं है, चलो तुम्हे आसान भाषा में इसका अर्थ समझाता हूँ,


बेटा चमेली का तेल एक बहुत ही अच्छी सुगंध वाला तेल होता है, जो भी इसे लगाता है मेहकने लग जाता है, लेकिन उसके विपरीत छछूंदर एक बहुत ही गन्दा जीव है, जो एक अजीब तरह का दुर्गन्ध युक्त रासायन अपने शरीर से छोड़ता है ताकि कोई अन्य जीव उसके नजदीक न गुज़र पाए

छछूंदर और चमेली के तेल का कोई जोड़ नही, यानी की छछूंदर चमेली के तेल के योग्य नही है, इस मुहावरें का अर्थ इस प्रकार है की अयोग्य इंसान के पास किसी योग्य चीज का कोई महत्व नही,


आओ इसे और आसान भाषा में समझने के लिए इस मुहावरें से मिलती झूलती एक कहानी सुनाते है


ये कहानी है एक अनपढ़ यानी की अंगूठा छाप लड़के सुधीर की, जिसे अपना नाम तक लिखना नही आता था, लेकिन उसके पिता के पास बहुत संपत्ति थी, और तो और वो अपने माता पिता की इकलौती संतान थी, जिसके चलते उसने जो माँगा वो उसके माता पिता ने उसे दे दिया,


वही दूसरी तरफ एक लड़की थी निशा नाम की,जिसके घर पर माता लक्ष्मी की तो असीम किरपा नही थी जिस कारण उसके घर में पैसे को लेकर बहुत तंगी रहती थी, लेकिन निशा पर मानो माँ सरस्वती की असीम किरपा थी, पढ़ाई लिखाई में एक दम सब से आगे, उस गांव की पहली लड़की थी जो M. A कर रही थी, बाकी सब तो दसवीं और बारहवीं तक ही विद्या का सफऱ तय कर चुकी थी


उसे अध्यापिका बनना था, और भी बच्चें बच्चियों को पढ़ाना था, लेकिन फिर अचानक सुधीर के घर वालों को वो अपने बेटे के लिए भा गयी, और उसकी माँ उसका हाथ मांगने पहुंच गयी उसके घर

निशा ने तो मना करना चाहा, लेकिन उसके माता पिता के आगे उसकी एक न चली, क्यूंकि सुधीर इकलौता लड़का था घर बार भी बहुत अच्छा था, वो किस्मत वाली है जो इतना अच्छा रिश्ता आया उसके लिए, इस तरह की बातों ने न चाहते हुए भी उसे सुधीर की दुल्हन बनने पर मजबूर कर दिया, इन सब के बावज़ूद वो रिश्ते को ईमानदारी से निभाना चाहती थी, उसने अपने सपने के बारे में अपने ससुराल वालों को बताया तब सबने उसे घर में रहने को ही कहा, यहां तक की उसके पति सुधीर ने भी जो खुद अनपढ़ था वो पढ़ाई की कीमत क्या जानता


सुधीर और उसके अयोग्य परिवार के हाथो एक योग्य लड़की की जिंदगी ख़राब हो गयी थी, जिसकी योग्यता की उन्हें कोई कदर नही थी, गांव वाले सामने तो कुछ नही कहते लेकिन पीठ पीछे इस मुहावरें छछूंदर के सर पर चमेली का तेल का उच्चारण करके ठहके लगा कर हस्ते


बेचारी निशा के सपने बिखर गए थे, उसने जो कुछ पढ़ा सब व्यर्थ चला गया उन अयोग्य लोगो के हाथो में फ़स कर, अगर वो उसकी योग्यता को जान पाते उसके सपने को साकार करने में उसकी मदद करते तो वो आज न जाने कितनो के घरों तक विद्या की रौशनी जला देती


अब समझ आ गया बेटा छछूंदर के सर पर चमेली के तेल मुहावरें का अर्थ " दीन दयाल जी ने कहा


जी दादा जी बहुत अच्छे से, मानव ने कहा और वहाँ से चला गया बाहर खेलने


मुहावरों की दुनिया हेतु 





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4 Comments

अदिति झा

17-Feb-2023 10:36 AM

Nice 👍🏼

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Varsha_Upadhyay

16-Feb-2023 08:42 PM

बहुत खूब

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